रविवार, 28 मार्च 2021

होली


 होली रे होली 

रंगों की डोली 

खुशियों की बारात 

गठजोड़ की रात 

सपनों की सौगात 

संग होली रे होली 

क्यों तूने गौरी 

असुअन बीच 

अखियाँ भिगोली 

विदाई की बेला 

विरह का मेला 

नेहर छूटे साथी छूटे 

बालपने की यादें छूटे

छूटी सारी 

हंसी ठिठोली 

खुशी अवसाद की 

है बिचोली 

होली रे होली 

रंगों की डोली 

साजन मिला 

लाल रंग खिला 

प्रीत मिली 

बगिया  खिली 

एक रंग 

फिर भी छूटा 

खुशियों से मन 

फिर भी रूठा 

खुशी में भी 

आँख भीगोली 

क्यूँ होती है 

होली ऐसी

ऐसी होली

होली

होरी है 

फागोत्सव है 

रंगों का रंगोत्सव है 

कवि है 

कल्पना है 

कवि का महोत्सव है

एक है रंग रंगीली

दूजा है रसीला 

एक रंगों की 

छटा बिखेरती 

दूजा लगता है सजीला 

मदमस्त हो 

एक मीत मिलाती 

दूजा भावों का है मेला

हरे लाल नीले पीले 

रंग है गुलाबी 

हास्य, करुण 

वीर, विभत्स 

नौ रस है श्रृंगारी

हँसते गाते 

खुशियाँ बांटते 

दोनों एक समाना 

भीतर दोनों 

आकुल व्याकुल  

दुख समाए अपारा

एक रंगों की 

नार नवेली 

दूजा श्रृंगार है छबीला

एक विरह 

भरी विरहणी 

एक टूटा नर गर्विला

एक नीर भरी 

दुख की बदली 

दूजा बादल है बोझिला



होली

खेलती हूँ होली रोज 

तेरे अहसासों की 

यादें बरसाती है 

रंग तेरे संग का

तसव्वुर तेरे चेहरे का 

करती है अखियाँ

उड़ता है गुलाल 

हमारी खुशियों का

होता है गुलजार बाग

मेरी तन्हाईयों का


होलिका दहन
दहन बुराई का
विजयोत्सव 
सत्य का 
उत्सव रंगो का
मिलन स्नेह का
आपसी प्रीत का
खुशियों की जीत का
दुखों की हार का
सपनो के संसार का
प्यार के अहसासों का


शुक्रवार, 26 मार्च 2021

महादेवी वर्मा


निहार रही 

अतीत के चलचित्र 

स्मृति की रेखाएं 

बना रही 

स्मृतिचित्र 

पथ के साथी संग 

गाए संध्या गीत 

कैसे बरसी 

नीर भरी बदली 

कैसे बीती दुख की यामा 

जली दीपशिखा 

एक क्षणदा में उभरी 

श्रृंखला की कड़ियां 

खुली गुल्लक 

निकला नीरजा रश्मि कर 

नीलांबर पर ले सप्तवर्ण 

की परिक्रमा नीलकंठ की 

अग्नि रेखाएं 

बनी स्मारिका 

आत्मिका से हो संधीनी 

ने बनाया मेरा परिवार 

हाँ बनाया रचना परिवार

शनिवार, 20 मार्च 2021

कविता

 मैं कविता 

काव्य की रानी 

मनभावन 

मैं हूँ लुभानी 

हर कवि की 

आत्मा होती 

कल्पना से 

सज मैं पाती 

काव्य रूप 

पिरोई जाती 

सुरों से 

सज मैं जाती 

गीतों में 

गाई जाती 

बच्चों के 

मन को भाती 

श्रृंगार, विरह 

रूप सजाती  

हास्य, वीर रस 

मैं पाती 

रंग रंगीली 

हो मैं जाती 

सबके मन को 

हूँ मैं भाती



चिङिया रानी

 🐤मैं गोरैया 

🐥हूँ नन्हीं सी

🐤तुम्हारे घर की 

🐥हूँ रौनक सी 

🐤मैं कहीं भी 

🐥घर बनाती 

🐤सबके बीच 

🐥प्यार में पाती 

🐤खाती तुमसे 

🐥दाना पानी 

🐤मैं तुम्हारे 

🐥घर की रानी 

🐤तुम्हारे साथ ही 

🐥सो मैं जाती 

🐤चीं चीं कर 

🐥तुम्हें जगाती 

🐤उड़ उङ कर 

🐥तुम्हें सिखाती 

🐤कभी हार 

🐥नहीं मानती 

🐤बस मेहनत 

🐥करती जाती 

🐤कभी नहीं 

🐥मैं बैठ पाती

🐤निरन्तर काम 

🐤करती जाती


रविवार, 14 मार्च 2021

प्रेरणास्पद (Multinational )

 🍂व्यवधान शुभ या अशुभ 🌿

🍂विघ्न या विघ्नो के दूर होने की शुरूवात🌿

🍂खुल रहें है रास्ते या लेना है विराम🌿

🍂बदलने है रास्ते या रहना है तटस्थ🌿

🍂कार्य पूर्ण ना होने का संकेत🌿

 🍂या संघर्ष की सीख🌿

 



आध्यात्म ( spiritual)

 🌻डूब गहरे 

🌻मन सागर में 

🌻जा भीतर 

🌻और भीतर 

🌿लगा गोते 

🌿हो जा तर 

🌿शांत शीतलता 

🌿अपार कर 

🌺विचरण हो शांत 

🌺देख चक्षु 

🌺सहस्त्र हजार 

🌺कर रहे पुकार 

🌲आ बैठ पास 

🌲लगा आसन 

🌲ना हो आतुर

🌲देख प्रत्येक चक्षु 

🏵ध्यान से 

🏵कर स्नान 

🏵प्रकाश से 

🏵कर पिपासा 

🍀शांत पी 

🍀प्रकाश 

🍀खेल जा 

🍀अपने उल्लास से


🌞छोटा सा प्रकाश पुंज 🌞

🌞भरा है कोटि शक्ति से  🌞

🌞 वल्गा थामे सप्त रंग की 🌞 

🌞निकला अनवरत ज्योति से🌞



 



शिव रात्री विशेष

 🔔शिव,चंद्रशेखर 

🔔विषधर ले

🔔गंगा शीश धरें 

🔔जटाधारी 

🔔बन नारी  

🔔अर्धनारीश्वर रूप धरे

🔔हो जन्म मरण से परे 

🔔जीवन आधार धरे

🔔बन संहारक 

🔔रूद्र हो ले कोप

🔔रोद्ररूप धरे

🔔28 अवतार ले

🔔नाथ,भूतनाथ 

🔔कर ध्यान 

🔔त्रिनेत्र धरे

🔔ले शीत नटेश्वर 

🔔हिमांगी संग 

🔔शीतलता धरे

🌹हे चंद्रचूड़ 

🌹जटाधारी 

🌹खोल जटा 

🌹हो मस्त 

🌹कर नर्तन 

🌹बजा दूँ मैं मृदंग 

🌹ले साथ 

🌹तू ताल मेरे 

🌹छेङ नया 

🌹साज दे 

🌹आज समा 

🌹तू बांध दे

🌹कर प्रलय 

🌹मन में मेरे 

🌹उठा प्रचंड 

🌹आह हिय मेरे 

🌹उठा पाँव मेरे 

🌹थिरका तू 

🌹अपनी लय में 

🌹हो मगन 

🌹अनुपम नृत्य 

🌹करूँ तेरे संग 


😡 महाकाल 

👽 हो विकराल 

😊 जगत कल्याण करें 

👽 ले तीन नयन 

👺 हो रूद्र महान 

😡 गिरिजा संग रहे 

👺 हे तेज प्रताप 

😨 विष् गरल महान 

👺 रूद्र अवतार 

😨 ना गिरिजा सहन करे 

☺ संग हो गंग 

🤗 बांध जटा 

🌛 ले चंद्र शीत 

🌝 शीतल रूप धरे






राजस्थानी दोहे

🌺🌹राजस्थानी नार आ, साहस ईको अदम🌹 

🌺🌹क्षत्राणी शीश दियो, पन्ना दियो चंदन 🌹



🙏राजस्थान री क्षत्राणी आ,  पूत जणय्या हजार 

🙏एक पूत सिंह सवालाख, पृथ्वी हो या प्रताप


👏चालअ तो धरती धूजअ, धूजे गरबिली नार 

👏अकबर रो गरब टूट्यो, टूट्यो ना सिंह मेवाङ


शनिवार, 13 मार्च 2021

नर्तकी

 💃 अल्लहङ है

💃 नर्तनी मृदंगनी  

💃 ले हिय उल्लास 

💃 विपुल उन्माद 

💃 बाँध घुंघरू पाँव 

💃 उन्मुक्त मस्त 

💃 धर रही 

💃 पाँव सशक्त

💃 हर ताल पर

💃 निपुण पारंगत 

💃 अपनी लय में 

💃 निखरती 

💃 सँवरती 

💃 मचलती 

💃 ना ठहरती 

💃 बस थिरकती

💃 पर आकुल 

💃व्याकुल 

💃उद्धिग्न 

💃तङपती हिय में


नारी विशेष

 🌹नारी कोमल

नहीं, है कठोर 

🌹अल्हड़ 

नहीं,है सख्त 

🌹सहृदय 

नहीं,है एकाकी 

🌹है त्यागी या भोगी 

अनुकंपा सहिष्णु उदार 

🌹या कोप निर्दयी निष्ठुर 

🌹अनुमोदन 

🌹या अस्वीकार

व्याकुल या धाई

🌹लीन या बैरागी 

कर्मशील या विलासी 

🌹किंकर्तव्यविमूढ़ 

या कर्तव्यपरायणी 

🌹गतिमान या विराम 

विचारी,अविचारी 

🌹देव संग रमणीय 

या ताड़न अधिकारी

🌹नारी तू अपरम्पारी  

जगत् आधारी

🌹तेरे बलिहारी 





नारी शक्ति

 🌹सौम्या 

🌹पुलकित 

🌹शकुन धवलित 

🌹आस साथ में 

🌹एक हिलोर 

🌹विकल

🌹व्याकुल 

🌹हिय ताल में 

🌹बनने को

🌹आतुर 

🌹मौक्तिक 

🌹एक बिंदू 

🌹सीप में 

🌹है मिहिका 

🌹मिलने

🌹अधीर 

🌹मिहिर 

🌹किरण से



🙏 चंचला चपला 

🙏 नारायणी वधू 

🙏 पुरुषोत्तम की 

🙏 गिरिजा शैलजा 

🙏 तपस्विनी 

🙏 भार्या शिव की  

🙏 सावित्री गायत्री 

🙏 ब्रह्माणी 

🙏 संगिनी ब्रह्मा की 

🙏 स्वीकार करो बधाई 

🙏 नारी दिवस की


👩‍🚒 मेरी दामिनी 

👮‍♀️ गजगामिनी 

👩‍🏭 काली दुर्गा भगवती 

👩‍🔬 मेरे मन की हुँकार 

👩‍🚀 ना बिलख 

👩‍🔬 खोल पट नयन के 

👩‍💼 भ्रमित हिय से निकल 

👩‍🎤 हो जा प्रचंड 

👩‍✈️ नर्मदा,अलकनंदा 

🕵️‍♀️ तोड़ सारे बंधन 

👩‍💻 ले उफान 

👷‍♀️ बहा कंटको को 

👩‍🎓 कर समूल नष्ट 

👩‍🎨 हो जा शांत  

👸 बहती जा अविरल तू




#अन्तर्राष्ट्रीय_महिला_दिवस #internationalwomen

रविवार, 7 मार्च 2021

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस

है स्वयंसिद्धा तू 

पहचान को स्वयं को

ना रुकावट तू किसी की 

ना रोक स्वयं को

है आशा तू सभी की 

ना कर निराश स्वयं को

शक्ति है तू सभी की 

कर सशक्त स्वयं को 

है सफलता तू सभी की 

कर सफल स्वयं को


हे नारी दिवस आज 

मांगू कुछ खास 

घिरूँ अंधियारों मैं जब 

निकाल लेना तू 

जब गिरने लगूं  

संभाल लेना तू 

होगी गलतियां हजार 

सब देना तू सुधार 

मैं कुमुदिनी सहमी सी 

करना चन्द्र प्रकाश तू




दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में