शनिवार, 13 मार्च 2021

नर्तकी

 💃 अल्लहङ है

💃 नर्तनी मृदंगनी  

💃 ले हिय उल्लास 

💃 विपुल उन्माद 

💃 बाँध घुंघरू पाँव 

💃 उन्मुक्त मस्त 

💃 धर रही 

💃 पाँव सशक्त

💃 हर ताल पर

💃 निपुण पारंगत 

💃 अपनी लय में 

💃 निखरती 

💃 सँवरती 

💃 मचलती 

💃 ना ठहरती 

💃 बस थिरकती

💃 पर आकुल 

💃व्याकुल 

💃उद्धिग्न 

💃तङपती हिय में


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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में