मैं कविता
काव्य की रानी
मनभावन
मैं हूँ लुभानी
हर कवि की
आत्मा होती
कल्पना से
सज मैं पाती
काव्य रूप
पिरोई जाती
सुरों से
सज मैं जाती
गीतों में
गाई जाती
बच्चों के
मन को भाती
श्रृंगार, विरह
रूप सजाती
हास्य, वीर रस
मैं पाती
रंग रंगीली
हो मैं जाती
सबके मन को
हूँ मैं भाती
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