शनिवार, 20 मार्च 2021

कविता

 मैं कविता 

काव्य की रानी 

मनभावन 

मैं हूँ लुभानी 

हर कवि की 

आत्मा होती 

कल्पना से 

सज मैं पाती 

काव्य रूप 

पिरोई जाती 

सुरों से 

सज मैं जाती 

गीतों में 

गाई जाती 

बच्चों के 

मन को भाती 

श्रृंगार, विरह 

रूप सजाती  

हास्य, वीर रस 

मैं पाती 

रंग रंगीली 

हो मैं जाती 

सबके मन को 

हूँ मैं भाती



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