रविवार, 28 मार्च 2021

होली

खेलती हूँ होली रोज 

तेरे अहसासों की 

यादें बरसाती है 

रंग तेरे संग का

तसव्वुर तेरे चेहरे का 

करती है अखियाँ

उड़ता है गुलाल 

हमारी खुशियों का

होता है गुलजार बाग

मेरी तन्हाईयों का


होलिका दहन
दहन बुराई का
विजयोत्सव 
सत्य का 
उत्सव रंगो का
मिलन स्नेह का
आपसी प्रीत का
खुशियों की जीत का
दुखों की हार का
सपनो के संसार का
प्यार के अहसासों का


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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में