सोमवार, 9 अगस्त 2021

विश्व आदिवासी दिवस

 मैं सरल 

मैं सहज

निभाऊँ प्रीत

जानू ना रीत 

तेरे जग की

मैं भोली

अलबेली

मनमौजी

हूँ अपने ही 

ढंग की

मैं सलोनी

हूँ साँवली

पर हूँ

सच्ची अपने 

मन की

विश्व_आदिवासी_दिवस 


दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में