सोमवार, 7 जून 2021

पद्मावती

चूड़ामणि,सिंहनी 

रूप ज्योति अपरम्पार 

केशकला,काली अलकाएँ

हिरणी नैनन कली कचनार 

यौवन गागर छलके छल छल 

रूप नीर भरमार 

रूपमती पद्मावती 

साहस की भंडार

केसरी, बनी केसरी 

हुई सिंदूरी केसरिया 

जौहर की वेदी चढ़ 

हाथ ना आई चपल हिरणिया 

ओढ़ केसर चुनर, 

बन गई वो तो केसर अगनिया

बनी शान, बचाई आन 

मेवाड़ी मान हुआ निहाल 

रूप की गागर केसर क्यारी 

केसरी पाग पे हो गई वारि 

सच्ची वीरांगना 

सच्ची क्षत्राणी





पृथ्वीराज चौहान

राजस्थानी आन केऊँ 

राजपूताना मान केऊँ

दान देबा री सीमा तोड़ी 

थानेह दानवीर महान केऊँ

अजमेर रो बल केऊँ  

दिल्ली रो दर्द केऊँ

जयचंद अभिशाप बण्य्यो

संयोगिता रो संयोग केऊँ

सिंह  री धाकल केऊँ

गज की चिंघाड़ केऊँ 

बाज की निजराँ थारी 

थनअ क्षत्रिय महान केऊँ 

पुरुष को पौरुष केऊँ 

बलशाली बल केऊँ

नाम लेता शत्रु धूजअ 

शत्रु रो कंपन्न केऊँ

तलवार री धार केऊँ 

बरछी और कटार केऊँ

हर शस्त्र है धार थारी

थनह तीर भाल केऊँ 

तोप री गूंजन केऊँ

आँख रो अंजन केऊँ

गौरी रो गरब तोड्य्यो 

थनह गरब भंजन केऊँ

थनह शासक महान केऊँ

राजपूती ईमान केऊँ

अजमेरी मान बढायो

थनह पृथ्वीराज चौहान केऊँ 




दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में