बुधवार, 21 अप्रैल 2021

पृथ्वी दिवस

है धरा आज व्यथित 

अंतर्मन शोक से 

कर रही है विलाप 

स्वयं ही क्रदन से

देख दशा मानव की 

पीड़ित है खेद से 

मानव था सच्चा सपूत 

आज आह्लाद है पीड़ से 

बन नासमझ 

विकास की होड़ में 

क्यूँ छला स्वयं को 

अपने ही कर्म से


बुधवार, 7 अप्रैल 2021

मंगल पाण्डेय

जलाकर मशाल क्रांति की 

देश को थमाई थी 

कर आगाज विद्रोह का 

अलख आजादी की जगाई थी 

बन प्रथमेश जागृति का 

आंधी इंकलाब की लाई थी 

सूत्रधार जननायक क्रांति का 

सो गहरी नींद फांसी की 

नींद हमारी उड़ाई थी



दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में