होरी है
फागोत्सव है
रंगों का रंगोत्सव है
कवि है
कल्पना है
कवि का महोत्सव है
एक है रंग रंगीली
दूजा है रसीला
एक रंगों की
छटा बिखेरती
दूजा लगता है सजीला
मदमस्त हो
एक मीत मिलाती
दूजा भावों का है मेला
हरे लाल नीले पीले
रंग है गुलाबी
हास्य, करुण
वीर, विभत्स
नौ रस है श्रृंगारी
हँसते गाते
खुशियाँ बांटते
दोनों एक समाना
भीतर दोनों
आकुल व्याकुल
दुख समाए अपारा
एक रंगों की
नार नवेली
दूजा श्रृंगार है छबीला
एक विरह
भरी विरहणी
एक टूटा नर गर्विला
एक नीर भरी
दुख की बदली
दूजा बादल है बोझिला
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