निहार रही
अतीत के चलचित्र
स्मृति की रेखाएं
बना रही
स्मृतिचित्र
पथ के साथी संग
गाए संध्या गीत
कैसे बरसी
नीर भरी बदली
कैसे बीती दुख की यामा
जली दीपशिखा
एक क्षणदा में उभरी
श्रृंखला की कड़ियां
खुली गुल्लक
निकला नीरजा रश्मि कर
नीलांबर पर ले सप्तवर्ण
की परिक्रमा नीलकंठ की
अग्नि रेखाएं
बनी स्मारिका
आत्मिका से हो संधीनी
ने बनाया मेरा परिवार
हाँ बनाया रचना परिवार
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