मंगलवार, 28 जून 2022

दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म, 

तर्पण कर देने के बाद भी

होती है पुनरावर्तित स्मृति में

जाती है जन, पुन:पुन: 

हृदय के गर्भ  में


तन्हाई

चढ़ती गई शिखर दर शिखर 

तन्हाइयों के कारवाँ,ओर

रखती गई हर पायदान पर 

तेरे संग का एक फूल 

फिर भी नहीं उठ पाए कदम

कई मर्तबा जब जकड़न हुई

तेरे संग की मजबूत तो तोड़ 

बेड़ियाँ ख्यालों की तेरे 

बढ़ती गई इस कठोर जीवन में

अकेले, अकेले, बस अकेले.....


नहीं आते मुझे सियासी दाँव पेंच तेरे ए शहर 
मेरे लिए तो भली मेरी गांव की पंचायत....
नहीं उठते तेरे अदब कायदे मेरे मजबूत कंधो पर
मुझे भली मेरे हल और मिट्टी की चाहत



शुक्रवार, 24 जून 2022

फुर्सत

आ मेरी शुभ दोपहरी 

कर लूँ याद उन्हे 

छू कर तेरी देहरी

बैठ तेरे शांत प्रांगण में

कर लूँ दो मुलाकातें मन में

भीग जाऊँ तेरे 

हर एहसास के साथ 

सुमिर लूँ उनका नाम 

हर श्वांस के साथ 


देख असर तेरी एक मुलाकात का 

बेअसर हो गया दिल का धड़कना 

खड़े हैं अरमानों को समेटे बेसुध  

के संग चल रहा है जमाना


ना पूछ आलम मेरी मशरूफियत का 

दिल तन्हा है भीड़ भरे विराने में



गुरुवार, 23 जून 2022

शौर्य

मैं गई ठहर तेरी किर्ती पर 

हुई स्तब्ध रही दंग देख तेरा शौर्य 

किया नमन तेरे हौसले को 

भरूँ तेज स्वंय में देख तेरी मूरत को


Art work