बुधवार, 22 जून 2022

पीपासा

बयाँ गर हो गया शब्दो से 

तो,आँखे बोलेगी क्या भावों से 

मेरी पीपासा 

पा कर शीतलता 

हुई तृप्त 

संग शीतल 

हुआ अन्तर्मन 

पा कर स्नेह

की आतुरता


 



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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में