गुरुवार, 24 मार्च 2022

दर्द

शख्सियत ऊँची तेरी अंबर सी विशाल 

मैं पतंग, डोर बंधी, बेबस लाचार 

होगी विफल कोशिश बढ़कर तुझे छूने की 

छूटेगी धरती और ना मिलेगा आ


रोज जनती है एक नई सीख

ये जिन्दगी सबसे बड़ी जननी है

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