बजी तान मन की
खेले फाग होली की
उठे हिलोर प्रेम की
बाजे थाप चंग की
उड़े अबीर प्रीत की
भिगे कोर हिय की
ऐसा गुलाल
डालूँ तेरे गाल
उड़े तेरे
मन में जाके
मेरे प्रेम के
रंग हजार
खेलूँ होली
तेरे संग ऐसी
रंग तू ऐसी
मेरी चुनरिया
उतरे ना रंग
काहे सताए मन बसिया
होली खेले सब सखिया
रंग उड़े उड़े गुलाल
काहे भिगे मोरी अखियाँ
भाए तोहे बस दो टकिया
लाखों की तरसे है गुजरिया
दरद ना जाने पीर न जाने
माने ना तू मोरी बतिया
उड़े फाग की जब अबरिया
क्यूँ ना आए छोड़ नौकरिया
तरसे ना क्यूँ तेरा जियरया
हर पल तेरी राह निहारूँ
देखूँ हरदम तेरी ड़गरिया
वाहहहह
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