बुधवार, 29 दिसंबर 2021

उम्मीद

 जिंदगी उलझनों में उलझी रही कुछ इस तरह 

हर ख्वाहिश उलझती रही कठिनाइयों की तरह

कुछ सुलझा हुआ मिला तो वो थी मुश्किलें  

कदम दर कदम साथ रहीं हमसफर की तरह

हर चाहत सिमटती रही तकलीफ़ें लपेटकर

तकलीफें बढ़ती रही तमन्नाओं की तरह

हर गम ने दम तोड़ा मुस्कुराहटों के आगे

उम्मीदें फिर भी रोशन रही सितारों की तरह


मुझसे तो पार नहीं हो रही 
तेरी यादों की नाव ही 
जाने कैसे तूने 
मुझसे किनारा कर लिया 

3 टिप्‍पणियां:

  1. जिन्दगी की उलझनों अविमुक्त अभिव्यक्ति
    मनोभावों में अपार लबरेजती हुई शक्ति
    मनमीत गुमा अलगाव में फिर भी है भाव में
    बहुत खूब है हौंसला ताप रहीं हों जिंदगी के अलावा में।
    आपकी मायूस सी जिंदगी में हर पग रहूंगा मैं तेरा साथी
    ये इस युवान का वचन है नहीं होगी इसमें कोई कटौती।

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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में