बुधवार, 21 अप्रैल 2021

पृथ्वी दिवस

है धरा आज व्यथित 

अंतर्मन शोक से 

कर रही है विलाप 

स्वयं ही क्रदन से

देख दशा मानव की 

पीड़ित है खेद से 

मानव था सच्चा सपूत 

आज आह्लाद है पीड़ से 

बन नासमझ 

विकास की होड़ में 

क्यूँ छला स्वयं को 

अपने ही कर्म से


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