बुधवार, 7 अप्रैल 2021

मंगल पाण्डेय

जलाकर मशाल क्रांति की 

देश को थमाई थी 

कर आगाज विद्रोह का 

अलख आजादी की जगाई थी 

बन प्रथमेश जागृति का 

आंधी इंकलाब की लाई थी 

सूत्रधार जननायक क्रांति का 

सो गहरी नींद फांसी की 

नींद हमारी उड़ाई थी



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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में