तुमसे बाहर निकल नहीं पाई
गम की धूप लग नहीं पाई
कैसे जानूं दुनिया के बंधन
मेरी दुनिया तुझमें समाई
मैं बंदिनी तेरे प्यार की
बस तेरे इर्द गिर्द मंङराई
तेरे साथ ही रही हमेशा
तुझ बिन कुछ ना सोचा
मुश्किल है तुझसे छुटकारा
तेरी गिरफ्त में जीवन सारा
बड़े इत्मीनान से चल रहे थे
जिंदगी के रास्तों पर
तुमसे क्या टकराए रास्ते ही बदल गए
मुसाफिर थे अकेले ही
अपने सफर के
तुमसे मिले तो सफर ही बदल गए
निकले थे अकेले ही
मंजिल पे अपनी
तुमसे क्या मिले मंजिलें बदल गई
शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई💐🎂💐💐💐💐💐🎉🎊
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