मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021

तुमसे बाहर निकल नहीं पाई

गम की धूप लग नहीं पाई

कैसे जानूं दुनिया के बंधन

मेरी दुनिया तुझमें समाई 

मैं बंदिनी तेरे प्यार की 

बस तेरे इर्द गिर्द मंङराई

तेरे साथ ही रही हमेशा

तुझ बिन कुछ ना सोचा

मुश्किल है तुझसे छुटकारा 

तेरी गिरफ्त में जीवन सारा 



बड़े इत्मीनान से चल रहे थे
जिंदगी के रास्तों पर
तुमसे क्या टकराए रास्ते ही बदल गए
मुसाफिर थे अकेले ही 
अपने सफर के 
तुमसे मिले तो सफर ही बदल गए 
निकले थे अकेले ही
मंजिल पे अपनी
तुमसे क्या मिले मंजिलें बदल गई








1 टिप्पणी:

  1. शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई💐🎂💐💐💐💐💐🎉🎊

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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में