सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

बसंत

मृदुल बसंत 

बसंती पुष्प 

बसंत मन खिला खिला 

ए री सखी 

ज्ञान प्रकाश 

सुर सरगम 

वीणा तार झंकृत हुआ हुआ 

वरद हस्त 

शारदे का 

सुर देवी का 

वीणा पाणि  का हुआ हुआ


हंस वाहिनी 

वीणा वादिनी 

धवलीत वंदन नमो: नमो: 

यौवन मन 

वसंत जीवन 

सजा सुर संगीत नमो: नमो: 

सुनहरी किरणे 

पड़ी भू पर 

सजी वसुंधरा 

खिली बसंती नमो: नमो:


आजा श्याम 

खेले बसंत 

होऐं बसंती 

आया बसंत 

ओढूं पितांबर 

रंगू पीत रंग 

रंग दे पीतांबर 

फाग बसंती 

राग बसंती 

साथ बसंती 

दे दे पितांबर


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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में