मृदुल बसंत
बसंती पुष्प
बसंत मन खिला खिला
ए री सखी
ज्ञान प्रकाश
सुर सरगम
वीणा तार झंकृत हुआ हुआ
वरद हस्त
शारदे का
सुर देवी का
वीणा पाणि का हुआ हुआ
हंस वाहिनी
वीणा वादिनी
धवलीत वंदन नमो: नमो:
यौवन मन
वसंत जीवन
सजा सुर संगीत नमो: नमो:
सुनहरी किरणे
पड़ी भू पर
सजी वसुंधरा
खिली बसंती नमो: नमो:
आजा श्याम
खेले बसंत
होऐं बसंती
आया बसंत
ओढूं पितांबर
रंगू पीत रंग
रंग दे पीतांबर
फाग बसंती
राग बसंती
साथ बसंती
दे दे पितांबर
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