⚔ बने कुछ लोग जयचंद फिर से
🗡 जागो पृथ्वीराज तुम
🏹 दे बलिदान छोड़ गए पहले
⚔ बेसहारा माँ को तुम
🗡 करो इस बार नष्ट ना करो
🏹 गलती दोबारा तुम
⚔ उठ गए जो दोबारा कुचल
🗡 डालो फनों को तुम
🏹 बाकी रह गया था जो हिसाब
⚔ कर दो अब पूरा तुम
🗡 मिला मौका फिर से चुका दो
🏹 माँ का कर्ज तुम
🐅 उठ सिंह करवट ले
🐅 अब दिन है चेतना के
🐅 आ गए फिर विदेशी
🐅 गद्दारों की आड़ ले
🐅 हो दफन सनातनी संस्कृति
🐅 पनपे उस पर विदेशी जड़े
🐅 कर श्रृंगार युद्ध भूमि का
📯 रणभेरी का उद्घोष ले
🙏 कंस बने कई मारो मोहन
🙏 विष नागों का हर लो मोहन
🙏 एक पूतना आई है फिर से
🙏 लाई वो भी जहर साथ में
🙏 करो उद्धार उसका भी मोहन
🙏 उठे शिशुपाल दंभ जो सारे
🙏 बने दुर्योधन मिलकर सारे
🙏 तुम मोहन सुदर्शन चलाओ
🙏 और अर्जुन को सामने लाओ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें