मैं साम्राज्ञी तेरे मन की
फिर क्यूँ नहीं तू मेरे अधिकार क्षेत्र में
क्यूँ होती वसूली तेरी जमीं की
किसी और के हक में
क्यों जाता लगान तेरा किसी और के हिस्से में
नहीं ये कि कर नहीं सकती
परास्त मैं आक्रांताओं को
चाहूँ तो ले सकती पल में अपने हक को
कर सकती मुक्त पल में तेरी जमी को
पर लौटेगा तब तू अधूरा,चाहती हूँ तुझे मैं पूरा
लड़ना होगा खुद ही पड़ेगा बंधन तोड़ना खुद ही
होकर मुक्त आना होगा खुद ही
जय श्री कृष्ण
जवाब देंहटाएंHi Bwm Hk
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