रविवार, 21 फ़रवरी 2021

बिका दूल्हा

नहीं किया जो काम अब तक

किसी ने वो करने आई हूँ 

खरीद लो दूल्हा बेचेने आई हूँ 

नहीं बेचूंगी सस्ता वसूलूंगी दाम पूरा 

क्यूँ कि दिया है दाम मेने भी पूरा 

चुकाया इसकी पूरी जिंदगी का खर्च सारा 

नहीं रखूंगी बेचकर कर मैं रहूंगी 

कर्ज पिता के आसुओं का उतारूंगी 

कर अतिरिक्त वसूली बोझ दिल का उतारूंगी 

उतारूंगी चूङी बिंदी सिन्दूर 

फिर से जिंदगी सवारूंगी 

रखकर नहीं खाऊँगी मैं घाटा अब

बेचकर कमाऊँगी मै मुनाफा अब



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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में