शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

बुदबुदा

बुदगबुदा हूँ पानी का हूँ क्षणभंगुर 

हवा हूँ आते ही पानी हो जाऊँ गुम 

अस्तित्व नहीं मेरा स्थिर 

पल में बनूं खो जाऊं पल में 

किस पर करूं अभिमान 

ना तरलता ना बहाव मेरा 

जो भी है सब पानी 

मैं कहाँ हूँ मुझमें है पानी 

बनु पानी से मिटूं पानी पे 

जीवन मेरा है पानी से


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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में