Veena Mawar Author
वो दिन भी क्या दिन होते थे 🖤🤍🖤
जब फुर्सत को भी बड़ी फुरसत होती थी
गुजारे जो नहीं गुजरती थी 🖤🤍🖤
दोपहर इतनी लंबी होती थी 🖤🤍🖤
तब जज्बातों को जीने का सहारा किताबें होती थी 🖤🤍🖤🤍🖤🤍🖤🤍🖤
और गुफ्तगू करने के लिए चाय की प्याली होती थी 🖤🤍🖤🤍🖤🤍🖤🤍🖤
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