शनिवार, 9 जनवरी 2021

Lamhe

 वो दिन भी क्या दिन होते थे         🖤🤍🖤

जब फुर्सत को भी बड़ी फुरसत होती थी 

गुजारे जो नहीं गुजरती थी           🖤🤍🖤

दोपहर इतनी लंबी होती थी         🖤🤍🖤

तब जज्बातों को जीने का सहारा किताबें होती थी             🖤🤍🖤🤍🖤🤍🖤🤍🖤

और गुफ्तगू करने के लिए चाय की प्याली होती थी             🖤🤍🖤🤍🖤🤍🖤🤍🖤



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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में