शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

सुदर्शन

जो थे मुजरिम कल तक 

आज न्यायाधीश बनने लगे  

जुल्म पालते रहे जो अब तक

मांग इंसाफ की करने लगे 

उड़ाई धज्जियाँ कर्तव्य की जिन्होने

बात वो अधिकार की करने 

रहा दामन खूनेलहू से सना 

बात वो ही पाक दामन की करने लगे 

बुझा दिए सैकड़ों दिए घरों के 

आज बात चिरागे रोशन की करने लगे 

नहीं जानते वो शिशुपाल 

और सुदर्शन से उलझने लगे





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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में