जो थे मुजरिम कल तक
आज न्यायाधीश बनने लगे
जुल्म पालते रहे जो अब तक
मांग इंसाफ की करने लगे
उड़ाई धज्जियाँ कर्तव्य की जिन्होने
बात वो अधिकार की करने
रहा दामन खूनेलहू से सना
बात वो ही पाक दामन की करने लगे
बुझा दिए सैकड़ों दिए घरों के
आज बात चिरागे रोशन की करने लगे
नहीं जानते वो शिशुपाल
और सुदर्शन से उलझने लगे
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