🌹 हे घन मेघदूत
🌹 कालीदास के
🌹 सुनो पुकार
🌹 द्रवित हृदय
🌹 लगाए गुहार
🌹 नहीं बरसों अभी
🌹 धरा पर है सकुचाई
🌹 नहीं आगमन
🌹 सदैव तुम्हारा
🌹 होता फलदायी
🌹 शीत बढा है अभी
🌹 धरा पर लौट जाओ
🌹 आना जब आए
🌹 श्रावण मास
🌹 मत सताओ
🌹 गाएगें तब मिल के
🌹 राग मल्लार
🌹 अभी तुम लौट जाओ
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