गुरुवार, 7 जनवरी 2021

नारी पराकाष्ठा

मैं उपासना शबरी की 🦋

मैं दृढ़ता उर्मिला की 

मैं प्रतीक्षा अहिल्या की 

मैं सहनशीलता सीता की 

मैं शपत पांचाली केश की 

मैं पुत्र तपस्या कुंती की 

मैं सौ सूत क्षति गाँधारी की

मैं सत् हठिता सावित्री की🦋

मैं पति आज्ञा मांडवी की

मैं विदुषिता अनुसूया की

मैं अवहेलना यशोधरा की

मैं पुनीता सुलोचना की

मैं भक्ति लगन मीराँ की

मैं प्रेम पराकाष्ठा राधा की

मैं हूँ हर कथा नारी की🦋



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में