Veena Mawar Author
मेरी तन्हाईयों की शक्ल हो तुम
खयालों के औजारों से तराशी
यादों की नक्काशी से सजी
तमाम उम्र की फुर्सत से बनी
इंतजार के मोतियों की सजी
अरमानों के जेवर पहनाकर
उतार पाया हूँ दिल का खालीपन
तब कहीं निखार ला पाया हूँ
तमाम मोहब्बत से बेपनाह हुस्न पर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें