shabdika
Veena Mawar Author
शनिवार, 23 जनवरी 2021
छद्म
यह जो शांत सेहरा है ,
बहुत बंवडर लिए हुए है
धरती की प्यास बूझ ना सकी समंदर से
तब एक टुकड़ा बादल पिया उसने
तेरे मिलने की आस एक छद्म आभास
पूरा समंदर पास है
फिर भी एक टुकड़ा
बादल की प्यास है
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