शनिवार, 23 जनवरी 2021

छद्म

यह जो शांत सेहरा है ,

बहुत बंवडर लिए हुए है



धरती की प्यास बूझ ना सकी समंदर से 
तब एक टुकड़ा बादल पिया उसने

तेरे मिलने की आस एक छद्म आभास 

पूरा समंदर पास है 
फिर भी एक टुकड़ा 
बादल की प्यास है












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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में