रविवार, 17 जनवरी 2021

पद

 बहुत मुश्किल है अकेले उड़ना 


तेरे साथ हर उड़ान मुमकिन है 


तू था तो आसान था जीवन भी और प्रेम भी

कभी तैरने में इतने निपुण हुए ही नहीं
कि गहराई में गोता लगा सके
जब भी तेरे बस ऊपर ही उपर
तैरते रहे

साथ रही मेरे हमेशा परछाई की तरह 
मिल नही पाई कभी परछाई की तरह
बनी मुझसे ही थी तू परछाई की तरह
रही मुझसे दूर भी तू परछाई की तरह
रही मुझसे दोगुनी तू परछाई की तरह
तुझ में था मैं और तू परछाई की तरह






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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में