तुम समझ पाते मेरी अनकही बातों को
जो मैं नहीं कह पाई तुमसे मिलकर भी
काश तुम समझ पाते उन जज्बातों को
जो मैं नहीं दे पाई तुम्हें सब दे कर भी
नहीं बता पाई बहुत कुछ बताना था तुम्हें
नहीं बोल पाई बहुत कुछ कहना था तुम्हें
फिर भी खुश हूँ मैं ये सोच कर के
इश्क में रहती है चाहते जिनकी अधूरी
होता है इश्क भी मुकम्मल उन्ही का
बहुत खूब
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