शनिवार, 26 दिसंबर 2020

रसायन शायरी

 🌜तुम पारस मैं हूँ लोहा 🌛⭐

🌜करूँ जब संग मैं तेरा 🌙🌟

🌜कम हो नफरती इलेक्ट्रॉन⭐ 

🌜बढ़ जाए स्नेही प्रोटोन🌛🌟

🌜हो जाए दोनों संतुलित🌛⭐   

🌜बनूं फिर उदासीन न्यूट्रॉन🌜🌟

🌜तब बनू पारस पर सोना🌜🌟


तुम पदार्थ मैं तुम्हारा कण 

तुम मिश्रण मैं तुम्हारा तत्व 

तुम विलायक मैं तुम्हारा विलेय 

तुम यौगिक मैं तुम्हारा परमाणु 

तुम विलयन मैं तुम्हारा रंजक

काश ये सारी केमेस्ट्री कक्षा मे ही

ध्यान से पढ लेती  तो आज 

इनकी शायरी नहीं बनानी पङती

🤦‍♀️🤷‍♀️😜😝🙊🙈🤪😛😋



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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में