Veena Mawar Author
घनघोर अँधेरा है बाहर
भीतर लौ ये किसकी है
बाहर पथ में काँटे हजार
भीतर निष्कंटक राह किसकी है
बाहर समस्या है अपार
भीतर हल ज्योति किसकी है
बाहर भव सागर है विशाल
भीतर पतवार खैवय्या की है
बाहर रिश्ते है बेशुमार
भीतर ङोरी कान्हा की है
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