❤वफा की राहों में ❣
❤विश्वास ना डगमगाया
❤वफा की चाहों में ❣
❤सुकून हमेशा पाया
❤वफा की आहों में❣
❤सफर ना खत्म हुआ
❤वफा की बाहों में ❣
❤प्रेम मिलता रहा ❣
सागर धरा का प्रेम अनोखा
बिना बंधन बंधा है कैसा
रहते आए संग सदियों से
नहीं विनाशक है एक दूजे के
एक ज्वारशील आवेशित असीम
दूजा शीतभर शीतल अप्रतिम
नहीं लांघता क्रोध में सीमा
बढ़ाता स्वयं की है गरिमा
बिना तटबंधन ही बंध के रहता
नहीं डुबोता कभी धरा को
नहीं गिरने देती धरा उसे नीचे
जाने कौन बांधे दोनों को
रखता खार स्वयं ही भीतर
देता मधुर मेह धरा को
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