बुधवार, 23 दिसंबर 2020

लम्हे फुर्सत के

बड़ी मुद्दत से मिलती है 

फुर्सत तुम्हें किसी से मिलने की 

इसे यूँ ना गवाना

किसी से मिलो ना मिलो 

मेरे हमनवाँ

खुद से जरूर तुम मिलना

जानती हूँ नहीं आता तुम्हे

रहना मेरे बिना

मिलोगे खुद से जब तुम 

तब तुम मुझसे भी मिलना

कभी खामोशी उनकी मौन कर गई 

कभी शब्द उनके निशब्द कर गए 

एक उनका ही होने की जिद थी 

इसलिए कई बार हम गम पी गए 

सिल लिया लबों को अपने 

हमेशा के लिए खामोश हो गए 

अब खामोश रहो तुम या शब्द कहो 

हमेशा के लिए हम पत्थर हो गए

जो हो गया ना याद कर उसे 

जो बीत गया बिसार दे उसे 

आगे जिंदगी बुला रही तुझे 

देख तू ना निराश कर उसे 

बीती बातों का न जिक्र होने दे 

आगे जो आ रहा बस देख उसे

क्या कह रही जिंदगी देख तुझे 

एक और मौका दे बस उसे

टूटने का मतलब खत्म नहीं होता  

जुङने की नई शुरुआत दे उसे


मैंने ही मांगी थी दुआ ये रब से 
तरक्की बेशुमार हो जाए तुम्हारी
चढ़ो सीढ़ियां कामयाबी की इतनी
शख्सियत बुलंद हो जाए तुम्हारी
नहीं जानती थी बात तब इतनी 
जाओगे तुम तो बुलंदी को छू
रह जाऊंगी पीछे तुमसे मैं छूट
खुशी मेरी होगी तुम्हारी खुशी से
मांगूंगी दुआ यही मैं फिर से 
चाहे ना रहूँ मैं जीवन में तुम्हारे 
कामयाबी कदम चूमे हमेशा तुम्हारे



बीते जो पल साथ तेरे 
आज वही ख़ास मुझे
कुछ न था पास मेरे 
खाली दामन में मेरे
छोटी सी सौगात तेरी 
मालामाल कर गई
जाती हुई जिंदगी मेरी 
कुछ पल ठहर गई 
छोटी सी मुलाकात तेरी 
बेशकीमती हो गई 
मेरे जीवन की 
खाली तिजोरी के हीरे 
जन्मों जन्म तेरी 
मैं एहसानमंद हो गई 

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दर्द भरी यादें

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