शनिवार, 26 दिसंबर 2020

उम्मीद

तेरे आने की उम्मीद में

जलाई जो तुमने दिल में 

लौ कभी नहीं बुझने दी

कहीं आओ तुम लौटकर 

अंधेरा मिले  इस दिल में

छोटी सी लौ मेरे दिल की

देखें कब तक जलती 

तूफां से देखे कब तक 

अखण्ङ यूँ ही लड़ती 

हुआ है खत्म सब्र तेल 

बस आस पर है जलती





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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में