रविवार, 18 अक्तूबर 2020

Sona banam sona


सोना काम आएगा ना सोना 

एक से उड़ जाएगी नींदे 

दूजे से सब पड़ जायेगा खोना 

सुना बुजुर्गों से यही है हमने 

जो जागेगा वह पाएगा 

एक रूप है रानी लक्ष्मी का 

दूजा रूप है सपनों की रानी का 

एक स्वभाव की है चंचला 

क्यों ना हो नरोत्तम वर उसका 

दूजी का स्वभाव है 

आलस फैलाने का 

एक मिले जिसे खिल जाता वो है 

दूजी मिले तो खो जाता वो है 

दोनों से दूर रहना तो है बेहतर 

पर ना मिले दोनों तो जीवन है बद्तर


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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में