सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

कविता एक भारत

 मतभेद रखो पर मनभेद मत रखो 

सब अपने हैं किसी को पराया मत रखो 

मिलकर चलो आगे बढ़ो नए भारत की नींव रखो 

एक रहो नेक रहो भारत को दिल में रखो 

बढ़ रही आगे दुनिया खुद को ना जाति भेद में पीछे रखो 

भारतीय थे भारतीय हैं खुद को भारतीय ही रखो 

एक थे एक हैं खुद को एक ही रखो 

भारत की पहचान को सदा जीवंत ही रखो



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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में