चली सवारी मूषक जी की
बैठे इन पर एकदंत जी
ढूंढने लगी नजरें फिर दोनों की
इधर उधर कहीं हो मोदक जी
ढूंढ ढूंढ कर नजर थकी दोनों की
पर मिला नहीं उनको मोदक जी
चारों ओर ढेर पिज्जा बर्गर का
बची जगह तो डिब्बा था टिन का
कहीं पड़े थे पास्ता मंचूरियन
ढेर पड़े थे फूड अमेरिकन
नहीं मिला जब उनको मोदक जी
लगा फिर यही उन दोनों को जी
आ गए लगता गलत है बस्ती
नहीं है यह तो हिंदुस्तानी संस्कृति
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