शरद पूर्णिमा का सुधाकर
किस किस का है ये आकर्षण
खिलेगी जल में जाने कितनी ही कुमुदनी
कितने चकोर की होगी इसकी चांदनी
मधुर होगी आज न जाने कितनी ही खीर
किस-किस पर बरसेगा सरस ज्योत्सना का नीर
कितने सागर में उठाएगा आज यह ज्वार
स्वयं इसे बांधेगा मात्र पृथ्वी का दुलार 🌷
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