गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

Gajal tassvur tera

 तेरा तसव्वुर जहन से मेरे जाता है नहीं 

बंद पलक से दीदार तेरा हटता है नहीं 💜

खोलती नहीं इस डर से निगाहों को 

खुली पलक में तु ठहर पाता है नहीं 💙

होने लगी हूं काफिर कैसे करूं इबादत 

तेरा मरमरी ख्याल आंखों से जाता नहीं 💚

माना एक  ख्वाब है तू इन आंखों का 

पर इनका होने से मुकर तु भी पाता है नहीं 💛

समझा दे मुझे तु ही चला जो ये है सिलसिला 

के समझ में मेरे तो कुछ आता है नहीं  🤦‍♀️🤷‍♀️


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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में