कर जोरा जोरी अखियों की
खेली होली प्रीत की
उतर हृदय के आँगन में
फेकी गुलाल अपने रंग की
भर पिचकारी नेह की
मेने डारि संग अबीर की
छुई तेरी हिय देहरी तो
हुई जीत मेरे प्रेम की
खेरी होरी
ऐसी छोरी
बरसाने की
संग कान्हा के
गया कन्हाई
फिर ना खेरी
कभी होरी
छोरी ऐसी
बरसाने की
तूने डारि
भर पिचकारी
भिगी सारि
तेरे रंग में
रंग के सारी
मैं ना हारी
मेने जीती
तेरी प्रीति
जाऊँ तोपे
मैं तो वारि
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