मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

सजना

तुम बसे हो आँखो में सजना

काजल मना कर रहा है 

तेरी आँखो मे नहीं सजना


 

आया बसंत है अंत

सूखी निराशाओं का

खिली बयार महकी इंद्रियां 

जागी मन पुरवाई समस्त






2 टिप्‍पणियां:

  1. पीली सरसों महक रही है, आया बसंत आया बसंत खिल गए फूल लड़ गई डाल भौरों ने गाना शुरू किया पत्ते हिल कर दे रहे ताल। अति सुंदर बसंत चित्रण

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