जा भीतर
डूब अंतर
दे पछाड़
सारे प्रश्न
कर समाधान
शंकाओं का
निकाल ज्ञान
तत्व का
अल्पता है बुरी
अति उससे बुरी
बन तू मध्यम मार्गी
पी गरल
हो सरल
बन जा तू
अविनाशी
हो जा
तू भी एक बोद्धी
जा भीतर
डूब अंतर
दे पछाड़
सारे प्रश्न
कर समाधान
शंकाओं का
निकाल ज्ञान
तत्व का
अल्पता है बुरी
अति उससे बुरी
बन तू मध्यम मार्गी
पी गरल
हो सरल
बन जा तू
अविनाशी
हो जा
तू भी एक बोद्धी
माँ प्रतिमा परित्याग की
मूरत ममत्त्व की
माला मूल्यों की
नीति नैतिकता की
करुणालय भावों का
हिमालय शीत का
सागर समर्पण का
गगन गहनता का
सहनशीलता का दुर्गम पथ
कर्म शीलता का अजय रथ
चरण वंदनीय
कर्म अनुकरणीय
संबल स्नेह का
कवच रक्षा का
समाधान जटिलताओं का
सखा दुर्गम राहों का
प्राण भीतर के
क्षण श्वांस के
आंचल सुख का
तारा नयन का
मोती आस का
धागा आशीष का
प्रतिउत्तर हार का
उत्सव जीत का
वनवाणी बनी प्रवाहिनी
कर स्मरण बनफूल शिशु ने
गीताली का
लिया ज्ञान लिपिका का
किया लेखन
पथिक चलता रहा
ले भग्न हृदय गाता रहा
प्रभात संध्या संगीत
नदी बहती रही
कणिका क्षणिका कल्पना की
ङलते रहे नैवेद्य
निखरती रही कथा कवि कहानी
विचित्रता से पत्रपुट हुए सभी
परिशेष रहा ना
शेषलेखा किसी का
घाट की कथा सुनाई
पोस्ट मास्टर ने
श्यामली को
था भिखारिणी का
कंकाल टिका था
दान प्रतिदान
संपत्ति समर्पण
के गिन्नी त्याग पर
एक रात छूटा स्वर्णमृग
बनी विचारक
जीवित और मृत की
कर प्रायश्चित
हुई महामाया से ऊपर
छोड़ जय पराजय
किया उद्धार स्वयं का
ले शुभ दृष्टि कर्मफल की
बनी संन्यासिनी वैष्णवी
कर दर्पहरण
लिया गुप्त धन ज्ञान का
पूर्ण हुआ यज्ञ यज्ञेश्वर का