सोमवार, 25 जनवरी 2021

मैं और तुम

निकली हूं खुद को ढूंढने कहीं खो ना जाऊं 🌹

तुझ में उलझ कहीं तुझ तक ना पहुंच जाऊं🌹


      चाय,मैं

और तुम्हारी यादें.....🌹🌹


हाथ पकड़ ले तू मेरा कहीं और निकल ना जाऊँ
चाहती हूं खुद से मिलना बस तुझ तक पहुंच जाऊं



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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में