बेजान लफ्ज़ 💔
अरसे से झेल रहे 💔
गुनाह वक्त का 💔
दफन गहरे पड़े 💔
जबरन कत्ल 💔💔
हुआ इनका 💔💔
खिलखिला झरते थे
झरोखों से 💔💔
हादसा झरोखों में
हुआ इनका 💔💔
सूनी पड़ी 💔💔💔
लफ्ज़ हवेलियाँ सारी
हवेलियाँ 💔💔💔
मजार हुई इनका
इन्तजार 💔💔💔
लफ्ज़ सदाओं को💔
पैदा जो नया वारिस
हुआ इनका💕💕
💔सिसकियां रातों को
💔कोई सुनता नहीं
💔तेरी याद आंसुओं में
💔बहा दिया करता हूँ
💔तुझे भुला एक नया दिन
💔और जी लिया करता हूँ
💔सिलसिला मैं यही हर रोज
💔दोहरा लिया करता हूँ
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