गुरुवार, 12 नवंबर 2020

Shaayri page

 


बर्बाद हुआ हूँ अगर इस कदर मैं 

ना सोचना हो जाएगा बेदाग तू बरी 

हमराह तो तू ही था इश्क ग़दर मैं                                              

कुछ छींटे तो लगेंगे दामन पर तेरे भी

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सिसकियां रातों को कोई सुनता नहीं 

                  तेरी याद को आंसुओं में बहा दिया करता हूँ
                  तुझे भुला के एक नया दिन और जी लिया करता हूँ
                  सिलसिला यही मैं हर रोज दोहरा लिया करता हूँ
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मेरी हर तन्हा रात मांगती है हिसाब तुझसे 

दिन जो तेरे गुलजार हुए थे मेरी हंसी से
के अब कितनी हंसी उधार है मेरी तुझ पर
लेगा कितनी और रातें तू हिसाब मुझसे
कर दे अब तू हिसाब सारा बराबर
दे दे मुझे मेरी गुलज़ारी हँसी
ले ले रातों की तन्हाई तू मुझसे
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गिली रेत पे पैरों के निशान सा तू 

आया भी और चला भी  गया तू

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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में