बर्बाद हुआ हूँ अगर इस कदर मैं
ना सोचना हो जाएगा बेदाग तू बरी
हमराह तो तू ही था इश्क ग़दर मैं
कुछ छींटे तो लगेंगे दामन पर तेरे भी
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सिसकियां रातों को कोई सुनता नहीं
तेरी याद को आंसुओं में बहा दिया करता हूँ
तुझे भुला के एक नया दिन और जी लिया करता हूँ
सिलसिला यही मैं हर रोज दोहरा लिया करता हूँ
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मेरी हर तन्हा रात मांगती है हिसाब तुझसे
दिन जो तेरे गुलजार हुए थे मेरी हंसी से
के अब कितनी हंसी उधार है मेरी तुझ पर
लेगा कितनी और रातें तू हिसाब मुझसे
कर दे अब तू हिसाब सारा बराबर
दे दे मुझे मेरी गुलज़ारी हँसी
ले ले रातों की तन्हाई तू मुझसे
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गिली रेत पे पैरों के निशान सा तू
आया भी और चला भी गया तू
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