ए भारत के राजनेताओं
दिया था हक किसने ये तुमको
करो बंटवारा माँ वसुधा का
बना दो भारत पाकिस्तान को
नहीं बांटा हिंदू मुस्लिम को
बांटा तुमने माँ भारती को
काटा तुमने उस हिस्से को
जिस में बसी आत्मा इसकी
बिलखती आज देख मोहन जोदारो को
याद आती है तक्षशिला की
लव का बसा लाहौर भी छीना
छीनी विरासत हड़प्पा की
सिंध गया तो हिंद गया
क्यों ना तड़पे आत्मा इसकी
जिस नदी से पनपी सभ्यता हिंद की
वो नदी भी छीनी इसकी
रविवार, 1 नवंबर 2020
बंटवारा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
-
this poem is about a loving unknown face this poem is written by panchali this is the video of this poem we have recited this poem in this...
-
Vartika written by veena Mawar at delhi world book fair
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें