मंगलवार, 17 नवंबर 2020

मीराँ पदावली

 भक्तिमती मीराँ  🦋🦋🦋

नहीं लेखनी में ताब इतना 

लिखे गुणगान मेड़तनी का 

राव दूदा का गढ़ छोड़ा 🦋 

छोड़ी मेवाड़ी शान 🐟🐟🐟 

भगवा वेश किया धारण 

छोड़ी रजवाड़ी आन 🐬🐬 

धरे पैर जमीन पर 🐋🐋🐋 

उससे पहले दूदा 🐠🐠🐠 

रखता अपनी हथेली 🦋🦋 

धरे पैर कांटो के वन पर  

लहूलुहान पैर तली  🦋🦋

धूप जली बरखा भीगी  🦚

ओढ़ी झीनी लोई 🦜🦜🦜 

भरी सर्दी में थी जो 🦚🦚

मखमल में सोई 🐬🐬🐟


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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में