भक्तिमती मीराँ 🦋🦋🦋
नहीं लेखनी में ताब इतना
लिखे गुणगान मेड़तनी का
राव दूदा का गढ़ छोड़ा 🦋
छोड़ी मेवाड़ी शान 🐟🐟🐟
भगवा वेश किया धारण
छोड़ी रजवाड़ी आन 🐬🐬
धरे पैर जमीन पर 🐋🐋🐋
उससे पहले दूदा 🐠🐠🐠
रखता अपनी हथेली 🦋🦋
धरे पैर कांटो के वन पर
लहूलुहान पैर तली 🦋🦋
धूप जली बरखा भीगी 🦚
ओढ़ी झीनी लोई 🦜🦜🦜
भरी सर्दी में थी जो 🦚🦚
मखमल में सोई 🐬🐬🐟
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें