सोमवार, 9 नवंबर 2020

कर्ण


 पात्र नहीं जग में कर्ण सा श्रेष्ठ 👏

श्रेष्ठ दानी,श्रेष्ठ धनुर्धार🌹

श्रेष्ठ पिता श्रेष्ठ थी माता 

गुरु श्रेष्ठ,श्रेष्ठ मित्रता 🌹

सब मिला कर्ण को श्रेष्ठ  

बस भाग्य रहा निम्नेस्ट 🌹

कृष्ण ने बताया पँच पाण्डव से श्रेष्ठ 

पद में श्रेष्ठ तुमगुणों में श्रेष्ठ🌹

महाभारत पूर्व मिला असंतोष श्रेष्ठ 

जीवन भर रही वेदना श्रेष्ठ 🌹

द्रौपदी का मलाल श्रेष्ठ 

मिला साकेत गमन भी श्रेष्ठ🌹

श्रेष्ठ को मिली नर श्रेष्ठ की हथेली 

तब हुआ श्रेष्ठ का देहदान 🌹

मिला कृष्ण के हाथ मोक्ष धाम🤚

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में