मुंबई में फिर होगी एक आतंकी साज़िश
फिर निकाली जाएगी एक ताज पर रंजिश
फिर उङाया जाएगा मेट्रो को
फिर मरना होगा बेकसूरों को
कब तक चलेगा ये सिलसिला
खत्म कब होगा ये ज़लजला
कब मिटेगी ये आतंकी रंजिश
होगी कब इनके साथ प्रकृति की साजिश
के टूटेगा कब गुमान इनका
करेगी कब प्रकृति हिसाब इनका😔😥😞😥😔😥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें